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Chandigarh रेड जोन में! पराली के धुएं से हवा जहरीली, प्रदूषण ने पंजाब-हरियाणा को भी पीछे छोड़ा

Chandigarh में प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है और अब यह शहर पंजाब और हरियाणा के प्रमुख शहरों से भी अधिक प्रदूषित हो गया है। ट्राइसिटी की हवा इतनी खराब हो चुकी है कि यहां का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) दो दिनों से 300 के पार बना हुआ है। जो स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है। दक्षिणी सेक्टरों का एयर क्वालिटी इंडेक्स 301 पर पहुंच चुका है, वहीं पंचकुला भी गंभीर प्रदूषण की चपेट में है जहां AQI 256 दर्ज किया गया है। सोमवार को यह आंकड़ा केवल 150 था, जिससे प्रदूषण के बढ़ते स्तर का अंदाजा लगाया जा सकता है। यह स्थिति खासतौर पर बच्चों, बुजुर्गों और फेफड़ों की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है।

पंजाब और हरियाणा के प्रमुख शहरों से ज्यादा प्रदूषित चंडीगढ़

पंजाब और हरियाणा के अन्य प्रमुख शहरों की तुलना में चंडीगढ़ का प्रदूषण स्तर काफी बढ़ गया है। अमृतसर का AQI 226, फरीदाबाद का 240, लुधियाना का 201, रोहतक का 244 और हिसार का AQI 277 रिकॉर्ड किया गया है। दिल्ली का AQI 354 है, जहां पराली जलाने, वाहनों की बढ़ती संख्या और तापमान में गिरावट के चलते प्रदूषण बढ़ रहा है। यहां तक कि हिमाचल के औद्योगिक क्षेत्र बद्दी में भी प्रदूषण का स्तर चंडीगढ़ से कम है, जहां AQI 269 दर्ज किया गया है।

Chandigarh रेड जोन में! पराली के धुएं से हवा जहरीली, प्रदूषण ने पंजाब-हरियाणा को भी पीछे छोड़ा

प्रदूषण बढ़ने के कारण

चंडीगढ़ में बढ़ते प्रदूषण के कई कारण हैं। इनमें प्रमुख हैं – पड़ोसी राज्यों में पराली जलाना, सड़कों पर वाहनों की बढ़ती संख्या, और निर्माण गतिविधियों में वृद्धि। पराली के धुएं से हवा में जहरीले कण घुल गए हैं जो शहर की आबोहवा को खराब कर रहे हैं। शहर की हरियाली के बावजूद प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है। चंडीगढ़ प्रशासन ने प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए 25 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, लेकिन इसका असर बहुत कम दिखाई दे रहा है।

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प्रदूषण नियंत्रण के प्रयास

प्रशासन द्वारा शहर में जब भी प्रदूषण का स्तर बढ़ता है, तब सड़कों पर पानी के छिड़काव के लिए स्प्रिंकलर वाहनों का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा शहर के कई स्थानों पर नए पौधे लगाए गए हैं। ये नए वाहन राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) के तहत पिछले साल खरीदे गए थे। इन वाहनों में ट्रैकिंग सिस्टम पहले से मौजूद है ताकि प्रदूषण नियंत्रण का प्रभावी निरीक्षण किया जा सके।

पराली के धुएं का चंडीगढ़ पर असर

पराली जलाने के प्रभाव पर PGI के पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. रविंदर खेरवाल का कहना है कि इस समय प्रदूषण के बढ़ने का सबसे बड़ा कारण मौसम में बदलाव है। पिछले दो दिनों में तापमान में गिरावट आई है, जिससे हवा में प्रदूषण के कण ऊपर नहीं जा पाते और सतह पर ही बने रहते हैं। सर्दियों में वाहनों की संख्या भी बढ़ जाती है, जो प्रदूषण में इजाफा करता है। इसके अलावा, पराली जलाने के कारण भी चंडीगढ़ में प्रदूषण का स्तर और खराब हो गया है। ठंड के कारण प्रदूषण के कण वातावरण में ऊपर नहीं जा पाते और सतह पर ही रह जाते हैं, जिससे वायु गुणवत्ता और खराब हो जाती है।

आगे और बढ़ सकता है प्रदूषण स्तर

पर्यावरण विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही कड़े कदम नहीं उठाए गए तो अगले सप्ताह तक ठंड के साथ-साथ प्रदूषण का स्तर भी बढ़ सकता है, जिससे स्थिति और गंभीर हो जाएगी। चंडीगढ़ का प्रदूषण स्तर ऑरेंज जोन से रेड जोन में जा चुका है, जो कि एक चिंता का विषय है। प्रशासन को इस ओर तत्काल ध्यान देना होगा।

दक्षिणी सेक्टरों में अधिक प्रदूषण

चंडीगढ़ के उत्तरी हिस्सों की तुलना में दक्षिणी हिस्सों में प्रदूषण का स्तर अधिक पाया गया है। यहां की हरियाली के बावजूद, ट्रैफिक और निर्माण गतिविधियों के कारण प्रदूषण बढ़ रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, सर्दियों में वायु में नमी अधिक होती है, जिससे प्रदूषण के कण वातावरण में ऊपर नहीं जा पाते और धरती के पास ही बने रहते हैं, जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।

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इस स्थिति में प्रशासन को प्रदूषण नियंत्रण के लिए विशेष कदम उठाने होंगे, ताकि शहर की हवा साफ हो सके और नागरिकों को स्वस्थ वातावरण मिल सके।

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